और तुम्हारा वापस आजाना

 


सूरज के ढलते ही

और रात के होते ही

मैं ,सुबह के बारे मे सोचता हूँ

ठीक वैसे

जैसे तुम्हारे चले जाने पर

तुम्हारा लौटकर वापस आजाना

मै सोचा करता था ,

ये दोनों ही बातें

एक दूसरे से कितनी भिन्न हैं

मैं अभी भी

सोच रहा हुँ,

रात हो चुकी है

तुम जा चुकी हो

लेकिन

मैं सोच रहा हुँ

सुबह का होना

और तुम्हारा वापस आजाना  

 

 

Comments

Popular Posts